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शिवराज सिंह चौहान का केंद्रीय नेतृत्व में बढ़ता कद, झारखंड चुनाव में 'मामा' का जादू दिलाएगा बीजेपी को जीत?

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भोपाल: केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों बदले-बदले नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश में करीब 17 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज का कद केंद्रीय नेतृत्व में बढ़ता हुआ दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैबिनेट के साथ ही पार्टी संगठन भी उन पर पूरा भरोसा करके फ्री हेंड दे रही है। उनके राजनीतिक कौशल को देखते हुए भाजपा ने उन्हें नवंबर में होने जा रहे झारखंड विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया है।प्रभारी बनाने तक ही बात नहीं है, खास बात यह है कि वहां टिकट वितरण में उन्हें स्वतंत्रता प्रदान की गई। उसके बाद अब शिवराज को चुनाव प्रबंधन संबंधी निर्णयों के लिए भी फ्री हैंड दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी फ्लैगशिप योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी शिवराज सिंह चौहान को सौंपी है। केंद्र स्तर पर बढ़ा पूर्व सीएम का कद आपको बता दें कि इन दिनों शिवराज सिंह चौहान सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा में हो रहे उपचुनाव में प्रचार करते दिख रहे हैं। खास बात यह है कि शिवराज सिंह चौहान ऐसे नेता हैं, जिनमें जनता आम आदमी के नेता वाली छवि देखती है। वे जनता से बहुत ही सहज, सरल होकर जुड़ जाते हैं। आपको बता दें कि शिवराज सिंह दूसरे राज्यों में पहले भी स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव प्रचार में शामिल होते रहे हैं, पार्टी के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में आमंत्रित होते रहे हैं, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बढ़ते भरोसे के बीच शिवराज की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति के खास मायने निकाले जा रहे हैं। झारखंड चुनाव में शिवराज सिंह को मिला फ्री हेंडझारखंड के चुनाव प्रचार में भी शिवराज की जमीनी प्रचार शैली काफी चर्चा में है। राज्य में ओबीसी वर्ग को साधने की जिम्मेदारी भी शिवराज के कंधे पर है। आदिवासी क्षेत्रों में शिवराज की रैली और सभाओं में भी भीड़ देखी जा रही है। भाजपा झारखंड में अपना वोट शेयर 51 प्रतिशत करने के लिए प्रयास कर रही है। यहां ओबीसी वोटर की संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है। पिछले चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 करने का वादा किया था। इस बार भाजपा ने भी इसे चुनावी मुद्दा बनाया है।आपको बता दें कि शिवराज सिंह की छवि सफलतम मुख्यमंत्री के साथ किसानों, बेटियों और बुजुर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को शुरू करके उनसे बदलाव लाने की है। मध्य प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना योजना इसका बड़ा उदाहरण है। इसी के चलते प्रदेश में पार्टी ने 230 में से 163 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की थी। अब इसका लाभ झारखंड में भी देखने को मिल रहा है। एमपी के बाद झारखंड में भी हो रहे लोकप्रियजनता को अपनेपन से जोड़ना हो, महिला और बुजुर्गों के हित की योजना हो या सनातन धर्म का कोई विषय, शिवराज सिंह चौहान किसी भी मौके पर मंच लूटने वाले अग्रिम पंक्ति के वक्ताओं में शामिल हैं। सबसे खास बात यह है कि वे जमीनी नेता है, यही बात उन्हें मध्य प्रदेश के बाद अब झारंखड में भी लोकप्रिय बना रही है।
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