नई दिल्ली: भारतीय संस्कृति में सांपों को हमेशा से पूजा जाता रहा है। पुराने ग्रंथों और मौजूदा भारतीय समाज के रीति-रिवाजों में भी सांपों, खासकर कोबरा का अलग ही महत्व है। ये सांप हमारी संस्कृति और जिंदगी का एक अहम हिस्सा हैं। भारतीय कोबरा का फन कुछ खास किस्म का होता है और इसी में उसका जानलेवा जहर भी भरा होता है। यही वजह है कि कोबरा को भगवान शिव और विष्णु से जोड़ा जाता है। नाग पंचमी जैसे त्योहारों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इनकी पूजा करते हैं।इन धार्मिक बातों के अलावा, भारत के कुछ इलाके सांपों की ज्यादा आबादी के लिए भी जाने जाते हैं। ऐसा ही एक गांव है अगुम्बे, जो कर्नाटक के पश्चिमी घाट में है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कोबरा सांप की आबादी यहां ज्यादा होने की वजह से इस गांव को 'कोबरा कैपिटल ऑफ इंडिया' कहा जाता है। गांव लगभग 3 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 2,700 फीट है।इस गांव में काफी बारिश होती है,जिसकी वजह से इसे 'दक्षिण का चेरापूंजी' भी कहते हैं। गांव में लगभग 600 लोग रहते हैं और यह इलाका पहाड़ियों, घने जंगलों और झरनों से घिरा हुआ है। प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध होने की वजह से प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीवों पर शोध करने वाले लोगों के लिए यह गांव एक स्वर्ग है। खास किस्म के जीवों से भरा है गांवअगुम्बे में कई तरह के जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहां कुछ खास तरह के फंगस भी मिले हैं, जिनके नाम अगुम्बे के नाम पर रखे गए हैं। जैसे कि मेलिओला अगुम्बेन्सिस, तारेन्ना अगुम्बेन्सिस, हाइग्रोमास्टर अगुम्बेन्सिस और डैक्टिलारिया अगुम्बेन्सिस। पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले कुछ खास जीव भी यहां मिलते हैं, जिनमें मालाबार ग्लाइडिंग फ्रॉग, मालाबार हॉर्नबिल और मालाबार पिट वाइपर शामिल हैं। किंग कोबरा पर रेडियो टेलीमेट्री प्रोजेक्टइलाके में काले तेंदुए और हाथी भी पाए जाते हैं। हालांकि, अगुम्बे का सबसे खास जीव है किंग कोबरा। एक तरह से यह इस इलाके का प्रतीक है। अगुम्बे में ही मशहूर सर्प विशेषज्ञ पद्मश्री रोमुलस व्हिटेकर ने अगुम्बे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन (ARRS) की स्थापना की थी। यहां भारत में पहली बार किंग कोबरा पर रेडियो टेलीमेट्री प्रोजेक्ट भी शुरू हुआ था। सांपों की आबादी को रखता है कंट्रोलकिंग कोबरा दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है। यह अपने इलाके में दूसरे सांपों की आबादी को कंट्रोल करके करता है। यही वजह है कि इस सांप को जैव विविधता के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। यह दूसरे सांपों को खाता है, जिनमें करैत और दूसरे छोटे कोबरा शामिल हैं। इस तरह यह सांपों की आबादी को नियंत्रण में रखता है और ईको सिस्टम में संतुलन बना रहता है।
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