पटना: तेजस्वी आज कल राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट हो गए हैं क्या? या फिर उनकी लाचारगी दिखा कर राज्य की जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि राज्य की बागडोर पिछड़ों के नेता नीतीश कुमार के पास नहीं? केवल उनके कंधे का इस्तेमाल कर कुछ लोग अपनी मन की कर रहे हैं। हाल के दिनों में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए क्या-क्या कहा है, एक बानगी देखिए।
चलते सत्र में ठीकरा बीजेपी पर फोड़ासदन में 'बाप' शब्द को लेकर जो तनातनी हुई, उसका सारा ठीकरा बीजेपी के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर फोड़ा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लाचार, अस्वस्थ बताते उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा को खुरापाती बताया और भाई वीरेंद्र को ठीक ही कहा है। उनकी कोई गलती नहीं थी। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी कोई शिकायत नहीं। उपमुख्यमंत्री कौन होते हैं, सदन को चलाने की बात कहने वाले। उपमुख्यमंत्री को इस तरह की भाषा के लिए ही विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने भी फटकार लगाई। सरकार दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से चल रही है और 55 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की और आंदोलन की चेतावनी दी।
'भूंजा पार्टी' चला रही बिहार की सरकार!नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कुछ कम हमलावर हो गए हैं। साथ इसके उनके हमले का अंदाज बदल गया है। कुछ ही दिन पहले तेजस्वी यादव ने नेताओं के दामाद और बहनोई के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथित 'भूंजा पार्टी' पर सरकार की अकर्मण्यता का ठीकरा फोड़ा। आरोप लगाया था कि 'भूंजा पार्टी' वालों ने अपने-अपने परिजनों को फिक्स कर लिया हैं। एक घेराबंदी कर सीएम के बेटे निशांत कुमार को राजनीति में नहीं आने देना चाहते हैं। ये लोग मुख्यमंत्री तक राज्य की स्थिति, विधि-व्यवस्था की दशा को पहुंचने नहीं दे रहे हैं। और मुख्यमंत्री अब कोई भी निर्णय लेने की स्थिति में मालूम नहीं पड़ते हैं। विधि-व्यवस्था पर बैठक लेने का हक सीएम को है लेकिन कोई और लेता है। इससे मुख्यमंत्री की पद और गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन भी होता है। इनको लगता है कि ईश्वरीय वरदान मिल गया है क्योंकि सीएम अचेत अवस्था में हैं। यही हो रहा है बिहार में।
पिछड़ा कार्ड खेल रहे तेजस्वी: अश्कवरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की मानें तो तेजस्वी यादव बहुत ही सयाने अंदाज में चुनावी बाजी खेल रहे हैं। वे जानते हैं कि पिछड़े के वोट में सेंधमारी करने की ताकत नीतीश कुमार में है। इसलिए वे पिछड़ों के बीच ये संदेश देना चाहते हैं कि उनके पिछड़ों के नेता नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रह कर लाचार हैं। उनकी आड़ में बीजेपी नेता अपना मकसद पूरा कर रहे हैं। वे ये भी बताना चाहते हैं कि उन्हें चुनाव तक ही घेर कर रखा जा रहा है। वोट के बाद ये लोग उन्हें सीएम नहीं बनाने जा रहे हैं। इसलिए तेजस्वी यादव बार-बार नीतीश कुमार को लाचार और बेबस बताते अक्सर कहते हैं कि उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोई शिकायत नहीं। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर भले आरोप दर आरोप लगाते हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर भी मतलबपरस्ती का आरोप लगाते हुए कहते हैं इनकी राजनीति राजद में ही विकसित हुई। जब मतलब नहीं रहा तो जदयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और अब मतलब की राजनीति के लिए भाजपा चले गए। नेता प्रतिपक्ष ये बताने में लगे हैं कि नीतीश के बाद पिछड़ों के नेता तेजस्वी यादव हैं। ताकि पिछड़ी जाति का ज्यादा से ज्यादा वोट राजद को मिले।
चलते सत्र में ठीकरा बीजेपी पर फोड़ासदन में 'बाप' शब्द को लेकर जो तनातनी हुई, उसका सारा ठीकरा बीजेपी के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर फोड़ा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लाचार, अस्वस्थ बताते उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा को खुरापाती बताया और भाई वीरेंद्र को ठीक ही कहा है। उनकी कोई गलती नहीं थी। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी कोई शिकायत नहीं। उपमुख्यमंत्री कौन होते हैं, सदन को चलाने की बात कहने वाले। उपमुख्यमंत्री को इस तरह की भाषा के लिए ही विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने भी फटकार लगाई। सरकार दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से चल रही है और 55 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की और आंदोलन की चेतावनी दी।
'भूंजा पार्टी' चला रही बिहार की सरकार!नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कुछ कम हमलावर हो गए हैं। साथ इसके उनके हमले का अंदाज बदल गया है। कुछ ही दिन पहले तेजस्वी यादव ने नेताओं के दामाद और बहनोई के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथित 'भूंजा पार्टी' पर सरकार की अकर्मण्यता का ठीकरा फोड़ा। आरोप लगाया था कि 'भूंजा पार्टी' वालों ने अपने-अपने परिजनों को फिक्स कर लिया हैं। एक घेराबंदी कर सीएम के बेटे निशांत कुमार को राजनीति में नहीं आने देना चाहते हैं। ये लोग मुख्यमंत्री तक राज्य की स्थिति, विधि-व्यवस्था की दशा को पहुंचने नहीं दे रहे हैं। और मुख्यमंत्री अब कोई भी निर्णय लेने की स्थिति में मालूम नहीं पड़ते हैं। विधि-व्यवस्था पर बैठक लेने का हक सीएम को है लेकिन कोई और लेता है। इससे मुख्यमंत्री की पद और गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन भी होता है। इनको लगता है कि ईश्वरीय वरदान मिल गया है क्योंकि सीएम अचेत अवस्था में हैं। यही हो रहा है बिहार में।
पिछड़ा कार्ड खेल रहे तेजस्वी: अश्कवरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की मानें तो तेजस्वी यादव बहुत ही सयाने अंदाज में चुनावी बाजी खेल रहे हैं। वे जानते हैं कि पिछड़े के वोट में सेंधमारी करने की ताकत नीतीश कुमार में है। इसलिए वे पिछड़ों के बीच ये संदेश देना चाहते हैं कि उनके पिछड़ों के नेता नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रह कर लाचार हैं। उनकी आड़ में बीजेपी नेता अपना मकसद पूरा कर रहे हैं। वे ये भी बताना चाहते हैं कि उन्हें चुनाव तक ही घेर कर रखा जा रहा है। वोट के बाद ये लोग उन्हें सीएम नहीं बनाने जा रहे हैं। इसलिए तेजस्वी यादव बार-बार नीतीश कुमार को लाचार और बेबस बताते अक्सर कहते हैं कि उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोई शिकायत नहीं। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर भले आरोप दर आरोप लगाते हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर भी मतलबपरस्ती का आरोप लगाते हुए कहते हैं इनकी राजनीति राजद में ही विकसित हुई। जब मतलब नहीं रहा तो जदयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और अब मतलब की राजनीति के लिए भाजपा चले गए। नेता प्रतिपक्ष ये बताने में लगे हैं कि नीतीश के बाद पिछड़ों के नेता तेजस्वी यादव हैं। ताकि पिछड़ी जाति का ज्यादा से ज्यादा वोट राजद को मिले।
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