पटना: बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने स्वयं राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन राहुल ने ये पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने ये भी जोड़ा कि देश को अगर सही दिशा में ले जाना है, तो राहुल गांधी जैसे नेता की जरूरत है। पप्पू यादव के अनुसार, राहुल गांधी ने ये पद इसलिए ठुकराया क्योंकि वो सत्ता के पीछे नहीं भागते, बल्कि जनसेवा को प्राथमिकता देते हैं। उनका मानना है कि राहुल एक ईमानदार और सच्चे नेता हैं, जो देश की भलाई के लिए काम करना चाहते हैं।
राहुल को लेकर पप्पू यादव ने क्या कहा?न्यूज एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में सांसद पप्पू यादव ने दावा किया कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पद को अस्वीकार कर दिया, जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था। सेकंड भर में पीएम की कुर्सी ठुकराने वाला हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़े जीनियस लड़का, जो सच बोलने की हिम्मत रखता है। हार्वर्ड में पढ़ा। उन्होंने पीएम पद का ऑफर ठुकरा दिया। मनमोहन सिंह जी ने कहा कि राहुल जी आप बनिए, तो उन्होंने कहा कि नेवर (कभी नहीं)। 10 हजार किलोमीटर पैदल चलने वाला इंसान, सच की हिम्मत रखनेवाला, जो पीएम की कुर्सी छोड़ दे। उसको भी कोई 'पप्पू' कहता है? इसी इंटरव्यू में बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि हम तो कांग्रेस और राहुल गांधी के प्यार में पागल हैं।
मनमोहन सिंह कब थे देश के प्रधानमंत्री?देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में 26 दिसंबर 2024 निधन हो गया। उनकी सबसे बड़ी पहचान कुशल अर्थशास्त्री के तौर पर रही। 1991-96 के दौरान पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में देश के वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह प्रमुखता से उभरे। अपने कार्यकाल के दौरान व्यापक सुधार लाए, जिेससे देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव आया। यूपीए के दो कार्यकाल के प्रधानमंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक (10 वर्ष) प्रधानमंत्री रहे। 1998 से 2004 के बीच मनमोहन सिंह विपक्ष के नेता भी थे। 2004 में जब कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए को बहुमत मिली तो सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह का नाम सुझाया, जिसका बाकी दलों ने समर्थन किया।
सांसद पप्पू यादव के दावों में कितना दम?हालांकि, चुनावी राजनीति में मनमोहन सिंह फिट नहीं बैठते थे। कम बोलने और सोच-समझकर अपनी बात रखने वाले मनमोहन सिंह लंबे समय तक हार्ट के पेशेंट रहे। अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से सत्ता प्रतिष्ठानों पर उनकी पकड़ पहले जैसी नहीं रही, जिसका नतीजा रहा कि यूपीए-2 के दौरान करप्शन के कई गंभीर आरोप लगे। जिसका बचाव ठीक तरीके से न तो कांग्रेस पार्टी कर सकी और ना ही तत्कालीन यूपीए सरकार। इसी दौरान राहुल गांधी राजनीति का ककहरा सीख रहे थे। वैसे, गांधी परिवार में प्रधानमंत्री पद पाने के लिए पॉलिटिकल एक्सपर्ट होना कोई मायने नहीं रखता है। उसके लिए सदन में सिर्फ बहुमत चाहिए होती है, जो तब के मनमोहन सिंह सरकार के पास थी। ये सच है कि अगर राहुल गांधी चाहते तो मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी दौर में प्रधानमंत्री बन सकते थे लेकिन इस बात को लेकर न तो कांग्रेस पार्टी ने कभी कुछ कहा, ना ही गांधी परिवार ने। अब इस बात को सार्वजनिक मंच पर बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव लेकर आए हैं। पप्पू यादव का संसदीय कार्यकाल भी काफी लंबा रहा है। सत्ता के गुणा-गणित को काफी करीब से देखने का उनके पास अनुभव भी है।
राहुल को लेकर पप्पू यादव ने क्या कहा?न्यूज एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में सांसद पप्पू यादव ने दावा किया कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पद को अस्वीकार कर दिया, जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था। सेकंड भर में पीएम की कुर्सी ठुकराने वाला हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़े जीनियस लड़का, जो सच बोलने की हिम्मत रखता है। हार्वर्ड में पढ़ा। उन्होंने पीएम पद का ऑफर ठुकरा दिया। मनमोहन सिंह जी ने कहा कि राहुल जी आप बनिए, तो उन्होंने कहा कि नेवर (कभी नहीं)। 10 हजार किलोमीटर पैदल चलने वाला इंसान, सच की हिम्मत रखनेवाला, जो पीएम की कुर्सी छोड़ दे। उसको भी कोई 'पप्पू' कहता है? इसी इंटरव्यू में बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि हम तो कांग्रेस और राहुल गांधी के प्यार में पागल हैं।
मनमोहन सिंह कब थे देश के प्रधानमंत्री?देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में 26 दिसंबर 2024 निधन हो गया। उनकी सबसे बड़ी पहचान कुशल अर्थशास्त्री के तौर पर रही। 1991-96 के दौरान पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में देश के वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह प्रमुखता से उभरे। अपने कार्यकाल के दौरान व्यापक सुधार लाए, जिेससे देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव आया। यूपीए के दो कार्यकाल के प्रधानमंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक (10 वर्ष) प्रधानमंत्री रहे। 1998 से 2004 के बीच मनमोहन सिंह विपक्ष के नेता भी थे। 2004 में जब कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए को बहुमत मिली तो सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह का नाम सुझाया, जिसका बाकी दलों ने समर्थन किया।
#WATCH | Independent MP from Purnia, Pappu Yadav, says, "Rahul Gandhi rejected the post of the Prime Minister, which was offered by former PM Manmohan Singh..."
— ANI (@ANI) July 21, 2025
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सांसद पप्पू यादव के दावों में कितना दम?हालांकि, चुनावी राजनीति में मनमोहन सिंह फिट नहीं बैठते थे। कम बोलने और सोच-समझकर अपनी बात रखने वाले मनमोहन सिंह लंबे समय तक हार्ट के पेशेंट रहे। अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से सत्ता प्रतिष्ठानों पर उनकी पकड़ पहले जैसी नहीं रही, जिसका नतीजा रहा कि यूपीए-2 के दौरान करप्शन के कई गंभीर आरोप लगे। जिसका बचाव ठीक तरीके से न तो कांग्रेस पार्टी कर सकी और ना ही तत्कालीन यूपीए सरकार। इसी दौरान राहुल गांधी राजनीति का ककहरा सीख रहे थे। वैसे, गांधी परिवार में प्रधानमंत्री पद पाने के लिए पॉलिटिकल एक्सपर्ट होना कोई मायने नहीं रखता है। उसके लिए सदन में सिर्फ बहुमत चाहिए होती है, जो तब के मनमोहन सिंह सरकार के पास थी। ये सच है कि अगर राहुल गांधी चाहते तो मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी दौर में प्रधानमंत्री बन सकते थे लेकिन इस बात को लेकर न तो कांग्रेस पार्टी ने कभी कुछ कहा, ना ही गांधी परिवार ने। अब इस बात को सार्वजनिक मंच पर बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव लेकर आए हैं। पप्पू यादव का संसदीय कार्यकाल भी काफी लंबा रहा है। सत्ता के गुणा-गणित को काफी करीब से देखने का उनके पास अनुभव भी है।
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