बर्लिन: जर्मनी ने तुर्की को 30 से ज्यादा यूरोफाइटर टाइफून लड़ाकू जेट विमानों की बिक्री पर रोक लगा दी है। सोशल डेमोक्रेट्स और ग्रीन्स के गठबंधन वाली सरकार ने गुरुवार को यह जानकारी दी है। तुर्की में राजनीतिक उठापटक और भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच ये फैसला लिया गया है। जर्मन सरकार ने तुर्की के विपक्षी नेता एकरेम इमामोग्लू की गिरफ्तारी पर चिंता जताई है। जर्मनी सरकार को लगता है कि इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद हथियारों की बिक्री को मंजूरी देना सही नहीं होगा।जर्मनी का ये कदम नाटो, यूरोपीय रक्षा उद्योग और पूर्वी भूमध्य सागर की राजनीति पर असर डाल सकता है। इससे यूरोफाइटर कंसोर्टियम में दरार आ सकती है। इससे ये सवाल पैदा होता है कि अब नाटो के दक्षिणी हिस्से में तुर्की की क्या भूमिका होगी। वहीं जर्मनी के इस फैसले से रेसेप एर्दोगन के तुर्की आर्मी को आधुनिक बनाने की योजना को भी झटका लगा है। क्यों खास है यूरोफाइटर टाइफूनतुर्की ने जर्मनी से करीब तीन दर्जन यूरोफाइटर टाइफून की खरीद के लिए डील की है। यूरोफाइटर टाइफून मौजूदा समय के बेहतरीन लड़ाकू जेट्स में से एक है। यह ट्विन-इंजन और कैनार्ड-डेल्टा विंग वाला बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है। इसे जर्मनी, ब्रिटेन, इटली और स्पेन ने मिलकर बनाया है। यह विमान हवा में और जमीन पर दोनों जगह हमला करने में सक्षम है। तुर्की के पास 200 से ज्यादा F-16 लड़ाकू विमान हैं लेकिन ये पुराने हो चुके हैं। ऐसे में तुर्की यूरोफाइटर खरीदना चाहता था लेकिन जर्मनी ने कदम पीछे खींच लिए हैं। तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज भी TF-X नाम से पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बना रही है। इस विमान के F-35 से भी बेहतर खूबियों वाला कहा जा रहा है लेकिन इसे विमान को तैयार होने में अभी कई साल लगेंगे। फिलहाल के लिए तुर्की के पास रूस और चीन से लड़ाकू विमान खरीदने का विकल्प है लेकिन नाटो मेंबर होने की वजह से उसे संभलकर इस पर बढ़ना होगा। ऐसे में तुर्की को इस समय अपनी एयरफोर्स के लिए नए विक्लप पर सोचना पड़ सकता है। जर्मनी के सहयोगी ही हुए नाराजजर्मनी के फैसले से यूरोफाइटर कंसोर्टियम में भी मतभेद हो गए हैं। इसकी वजह ये है कि ब्रिटेन और स्पेन इस डील को पूरा करना चाहते थे। इससे उन्हें काफी फायदा होता। जर्मनी ने अपने राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए इस डील को रोक दिया। इससे उसके सहयोगी देश नाराज हैं। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भी पहले इस डील का समर्थन किया था लेकिन इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपना फैसला बदल दिया।
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