गूगल इन दिनों अमेरिका के न्याय विभाग (DoJ) के एक हाई-प्रोफाइल एंटी-ट्रस्ट मुकदमे का सामना कर रहा है। इस केस में उस पर सर्च इंजन मार्केट में मोनोपोली यानी एकाधिकार बनाए रखने का आरोप है। अगर अदालत ने गूगल को दोषी ठहराया, तो कंपनी को अपना सबसे चर्चित और इस्तेमाल होने वाला प्रोडक्ट – Chrome ब्राउज़र बेचने का आदेश भी मिल सकता है।
याहू का बड़ा दावा: हम Chrome खरीदने के लिए तैयारयाहू सर्च के जनरल मैनेजर ब्रायन प्रोवोस्ट ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि अगर गूगल को Chrome बेचना पड़ा, तो याहू इसे खरीदने के लिए बोली लगाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि Chrome की कीमत दसियों अरब डॉलर हो सकती है, लेकिन याहू की पैरेंट कंपनी Apollo Global Management इस डील के लिए फंड जुटाने को तैयार है।
OpenAI और Perplexity भी लाइन मेंयाहू अकेली टेक कंपनी नहीं है जिसने इस दिशा में रुचि दिखाई है। OpenAI और Perplexity जैसी कंपनियां भी इस बहुप्रतीक्षित डील में दिलचस्पी दिखा चुकी हैं। दूसरी ओर, DuckDuckGo ने कोर्ट में पेश होकर यह स्पष्ट किया कि उनके पास इतनी बड़ी खरीदारी की क्षमता फिलहाल नहीं है।
सर्च मार्केट में बड़ा बदलाव संभवब्रायन प्रोवोस्ट के अनुसार, आज की डिजिटल दुनिया में 60% से ज्यादा सर्च सीधे वेब ब्राउज़रों के एड्रेस बार से होते हैं। ऐसे में Chrome जैसे ब्राउज़र का मालिक बनना, किसी भी सर्च कंपनी के लिए बाजार में तेजी से हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका है।
अगर याहू Chrome को खरीदता है, तो उसकी सर्च मार्केट में हिस्सेदारी मौजूदा 3% से बढ़कर डबल डिजिट में जा सकती है – यानी सर्च मार्केट में याहू एक बार फिर बड़ी ताकत बन सकता है।
गूगल की चिंता: Chromium प्लेटफॉर्म भी खतरे मेंगूगल की ओर से इस संभावित बिक्री पर विरोध जताया गया है। कंपनी का कहना है कि अगर Chrome बेचना पड़ा, तो उसे Chromium प्लेटफॉर्म से भी हटना पड़ सकता है। यह वही ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है जिस पर Microsoft Edge, Opera, और Brave जैसे ब्राउज़र भी आधारित हैं।
गूगल को डर है कि Chrome का नया मालिक या तो इस प्लेटफॉर्म को चार्जेबल बना सकता है या उसकी देखभाल सही ढंग से नहीं करेगा, जिससे पूरे वेब ब्राउज़िंग इकोसिस्टम पर असर पड़ेगा।
फिलहाल Chrome बिकने के लिए उपलब्ध नहीं है… लेकिन इंतजार जारी हैहालांकि Chrome को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बिक्री प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन बड़ी टेक कंपनियां संभावित खरीदारों की तरह तैयार खड़ी हैं। सबकी नजर अदालत के फैसले पर टिकी है—क्या गूगल को वाकई अपना Chrome ब्राउज़र बेचना पड़ेगा?
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