News India Live, Digital Desk: Badrinath Temple History : उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित बद्रीनाथ धाम, भगवान विष्णु को समर्पित प्रसिद्ध चार धामों में से एक है। यह मंदिर साल में केवल 6 महीने ही खुलता है, जब लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया अत्यंत विशेष और पारंपरिक होती है। मंदिर के कपाट खोलने के लिए तीन चाबियों का इस्तेमाल होता है, जिनके एकत्र होने पर ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोलने के लिए तीन अलग-अलग चाबियों का प्रयोग किया जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसके पीछे एक विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है। प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी के दिन टिहरी के महाराजा के दरबार में विद्वानों द्वारा पंचांग की गणना के माध्यम से मंदिर के कपाट खुलने की तिथि और शुभ मुहूर्त निर्धारित किया जाता है।
- पहली चाबी: यह टिहरी राजपरिवार के प्रतिनिधि के पास होती है, जो बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से ताला खोलते हैं।
- दूसरी चाबी: बामणी गांव के भंडारी थोक के प्रतिनिधि के पास होती है।
- तीसरी चाबी: बामणी गांव के मेहता थोक के प्रतिनिधि के पास होती है।
निश्चित मुहूर्त से पहले ये तीनों चाबियां मंदिर में पहुंचाई जाती हैं और पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। सर्दियों में छह महीने के लिए मंदिर बंद रहता है, तब यही तीनों प्रतिनिधि इन चाबियों की सुरक्षा करते हैं।
इस पौराणिक और धार्मिक परंपरा का पालन हर वर्ष किया जाता है, जो मंदिर के कपाट खुलने के समय श्रद्धालुओं में भक्ति और उत्साह का माहौल बनाता है।
You may also like
IPL 2025: आज टूट सकता है विराट कोहली का ये रिकॉर्ड, इनके पास है मौका
IPL 2025, Match-57: KKR vs CSK: इन खिलाड़ियों के बीच देखने को मिलेगी जबरदस्त भिड़ंत
भारत के 5 शहर जहां काला जादू और तंत्र मंत्र का बोलबाला
पायल पहनने के लाभ और परंपरा: एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण
अब आप मात्र 25 सेकंड गायब कर सकते हैं अपने सिर का दर्द, जानिए कैसे