नई दिल्ली। यमन में हत्या के आरोप में मृत्युदंड की सजायाफ्ता केरल की नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए राजनयिक हस्तक्षेप के आदेश की मांग वाली अर्जी यहां सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल नाम के संगठन ने इस जनहित याचिका को दायर किया है। याचिका में ब्लड मनी की बात का भी जिक्र है। कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वो भारत सरकार को इस मामले में राजनयिक हस्तक्षेप के लिए निर्देशित करे। इस याचिका पर सोमवार 14 जुलाई को शीर्ष अदालत में सुनवाई होगी। यमन की अदालत ने निमिषा को फांसी दिए जाने के लिए 16 जुलाई की तारीख तय की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष चंद्रन ने याचिका के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जानकारी देते हुए बताया कि ब्लड मनी देकर निमिषा को फांसी की सजा से माफी दिलाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि यमन की अदालत ने निमिषा की अर्जी को खारिज कर दिया है लेकिन ब्लड मनी का रास्ता अभी खुला हुआ है। आपको बता दें कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को पैसे देकर उनसे माफी की मांग की जाती है जिसे ब्लड मनी कहते हैं। अगर मृतक का परिवार पैसे लेने पर राजी हो जाता है तो दोषी को माफी मिल जाती है।
आपको बता दें कि निमिषा पर आरोप है कि उसने यमन के निवासी तलाल अब्दो मेहदी की हत्या कर दी। निमिषा ने यमन में तलाल के साथ मिलकर क्लीनिक खोला था, मगर बाद में तलाल निमिषा का शोषण करने लगा। उसने निमिषा का पासपोर्ट भी छीन लिया। निमिषा के अनुसार तलाल ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उससे शादी का भी दावा किया। इन सब से तंग आकर एक दिन निमिषा ने तलाल को यह सोचकर बेहोशी का इंजेक्शन दिया कि वो अपना पासपोर्ट हासिल कर चली जाएगी, मगर डोज ज्यादा होने के चलते तलाल की मौत हो गई।
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