नई दिल्ली। यूपी में 5000 सरकारी प्राइमरी स्कूलों के विलय को चुनौती देने वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की सिंगल बेंच ने कहा कि योगी सरकार का फैसला सही है। सीतापुर के 51 बच्चों की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसमें अदालत से सरकार के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। इस याचिका पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब हाईकोर्ट का यह आदेश यूपी सरकार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है क्योंकि विपक्षी पार्टियां भी इस फैसले पर सरकार को घेरने में जुटी हुई थीं।
योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा 16 जून 2025 को स्कूलों के मर्जर का आदेश जारी किया गया था। सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे विद्यालय जहां छात्रों की संख्या कम है उनका आसपास के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में समायोजन कर दिया जाए। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि सरकार को स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए स्कूल के मानकों को सुधारना चाहिए। वहीं यूपी सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि कुछ ऐसे प्राथमिक विद्यालय भी हैं जहां छात्रों की संख्या बहुत ही कम है ऐसे में सरकार ने स्कूलों को आपस में जोड़ने का फैसला किया है।
पीलीभीत के ब्लॉक बिलसंडा के ग्राम चांदपुर निवासी सुभाष, यशपाल यादव और अत्येंद्र कुमार के द्वारा भी प्राथमिक विद्यालयों के विलय को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह आदेश बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही यह आदेश ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को भी प्रभावित करता है। इस याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार, के अलावा स्कूल शिक्षा महानिदेशक, शिक्षा निदेशक (बेसिक), बेसिक शिक्षा बोर्ड प्रयागराज, क्षेत्रीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक), पीलीभीत के जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य विकास अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी बिलसंडा को प्रतिवादी बनाया गया है।
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