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कर्क संक्रांति: सूर्य का कर्क राशि में गोचर और इसका महत्व

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कर्क संक्रांति का महत्व

जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं, इसे कर्क संक्रांति कहा जाता है। यह घटना हिंदू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण खगोलीय और धार्मिक घटना मानी जाती है। आज, 16 जुलाई को, सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इस दिन से सूर्य की गति उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर बदल जाती है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सूर्य की अर्द्धवार्षिक गति का संक्रमण बिंदु होता है। कर्क संक्रांति के साथ ही प्रकृति में बदलाव आने लगता है, और हरियाली का आगमन होता है। यह संक्रांति श्रावण माह की शुरुआत का संकेत देती है।


गोचर का समय

वर्तमान में सूर्य मिथुन राशि में हैं। 16 जुलाई 2025 को, सूर्य देव शाम 05:40 बजे कर्क राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव एक महीने तक कर्क राशि में रहेंगे, उसके बाद वे सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।


शुभ मुहूर्त

कर्क संक्रांति के दिन, सूर्य देव के कर्क राशि में गोचर की तिथि पर विशेष पूजा की जाती है। इस दिन, 16 जुलाई 2025 को, पुण्य काल सुबह 05:40 से शाम 05:40 तक रहेगा। महापुण्य काल दोपहर 03:22 से शाम 05:40 तक होगा।


पूजन विधि

इस दिन, सुबह जल्दी स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें।


फिर 'ऊँ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का 108 बार जप करें।


इसके बाद गायत्री मंत्र से सूर्य उपासना करें।


अब पितरों के नाम तर्पण करें।


गरीबों को तिल, जल, जूते, वस्त्र, गुड़ और छाता आदि का दान करें।


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