इंटरनेट डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव में एक नया मोड़ आ गया है, पिछले 48 घंटों में बहुत कुछ बदल गया हैं, सीजफायर की घोषणा हो चुकी हैं, लेकिन पाकिस्तान फिर भी नहीं मान रहा है। इस बीच सीज़फायर पर विपक्ष मोदी सरकार को घेर रहा है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पोस्ट करते हुए कहा है कि हाल में हुए सैन्य ऑपरेशन पर अमेरिका के दखल से पूरा देश चिंतित है कि ऐसी क्या मजबूरी रही जिससे केन्द्र सरकार ने किसी तीसरे देश को दखल देने दिया ?
मीडिया रिपोटर्स की माने तो गहलोत ने साल 1961 का ज़िक्र करते हुए लिखा, ये 1961 की बात है जब मैं छठवीं कक्षा में था। 1961 तक गोवा राज्य पुर्तगाल के कब्जे में था, इसके भारत में विलय के लिए पंडित नेहरू की सरकार ने सैन्य ऑपरेशन विजय शुरू किया, पुर्तगाल नाटो का सदस्य देश था इसलिए पुर्तगाल के इलाके में सैन्य ऑपरेशन नाटो के खिलाफ माना जाता और भारत पर पश्चिमी देश आक्रमण कर सकते थे। अमेरिका के राजदूत ने भी पंडित नेहरू से मिलकर सैन्य कार्रवाई न करने का अनुरोध किया परन्तु पंडित नेहरू की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं सेना के शौर्य ने पुर्तगालियों को खदेड़ दिया और गोवा का भारत में विलय किया।
इन्दिरा जी ने सिक्किम को भारत का हिस्सा बनाया
उन्होंने आगे कहा, जब मैं यूनिवर्सिटी में आया तो 1974 तक सिक्किम चोग्याल राजवंश का एक स्वतंत्र राजतंत्र था। यहां की महारानी अमेरिका की रहने वाली थीं जिस वजह से सिक्किम को अमेरिका का समर्थन था। 1974 में इन्दिरा गांधी की सरकार ने सिक्किम के भारत में विलय के लिए अभियान चलाया, तब अमेरिका ने भारत पर दबाव डाला और कार्रवाई तक की चेतावनी दी परन्तु इन्दिरा जी ने इस सबको अनदेखा कर सिक्किम को भारत का हिस्सा बनाया। अमेरिक के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा सीज़फायर की घोषणा करने के मामले पर गहलोत ने कहा, पूर्व में भारत कभी अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका इसलिए ही हम देशवासियों के गले यह बात नहीं उतर रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीजफायर का ऐलान कैसे कर दिया।
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