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ज्ञानवापी मामले में अब अगली सुनवाई 31 मई को होगी, मसाजिद कमेटी, सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से बहस हुई

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ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने के संबंध में 1991 से लंबित मामले में तीन बहनों को पक्षकार बनाने के लिए दाखिल अर्जी पर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने गुरुवार को आपत्ति जताई। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) भावना भारती की अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 31 मई की तारीख तय की है।

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के वकील रईस अहमद और एखलाक अहमद ने हरिहर पांडेय की तीन बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय की अर्जी पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि उन्हें पक्षकार बनाने के उनके आवेदन पहले भी खारिज हो चुके हैं। उन्हें पक्षकार बनाने के पांच आवेदन खारिज हो चुके हैं। आवेदन करने वाले सभी लोग मामले में पक्षकार नहीं हैं या जरूरी नहीं है। अगर तीनों बहनों को मामले में पक्षकार बनाया जाता है तो हिंदू-मुस्लिम समुदाय से आवेदन दाखिल करने वालों की बाढ़ आ जाएगी। ऐसी स्थिति में मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकती और इसका निस्तारण नहीं हो सकता। इस मामले के आदेश और फैसले का असर सभी पर पड़ेगा।

अधिवक्ता रईस अहमद और एखलाक अहमद ने यह भी तर्क दिया कि दिवंगत हरिहर पांडेय की बेटियों को इस मामले में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी को न्यायमित्र नियुक्त करने पर आपत्ति करने का कोई अधिकार नहीं है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से पेश अधिवक्ता तौहीद खान ने हरिहर पांडेय की बेटियों को पक्षकार बनाने की अर्जी का समर्थन किया। उन्होंने तर्क दिया कि तीनों बहनें हरिहर पांडेय की कानूनी वारिस हैं और उनकी मृत्यु के बाद उन्हें पक्षकार बनाने पर कोई कानूनी रोक नहीं है। तीनों बहनों की ओर से पेश अधिवक्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अपना पक्ष रखने के लिए अदालत से समय मांगा। अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया।

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