उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के करहल तहसील के किरथुआ क्षेत्र में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास और सांस्कृतिक विभाग ने एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की है। शोधकर्ताओं ने यहां 4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों की खोज की है, जो क्षेत्र के इतिहास को एक नया मोड़ देने वाली है।
खोज में मिली 50 से अधिक प्राचीन वस्तुएं:
इस शोध में विशेषज्ञों को कई प्रकार के पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, जिनमें ईंटों, बर्तनों, मूर्तियों के टुकड़े, खिलौने, हड्डियां और अन्य वस्तुएं शामिल हैं। इन वस्तुओं से स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में एक समृद्ध सभ्यता का अस्तित्व था। इन अवशेषों के माध्यम से यह संकेत मिलते हैं कि इस स्थान पर प्राचीन मानव सभ्यता का विस्तार था, और यहां पर लोगों की जीवनशैली और संस्कृति का पता चलता है।
एएसआई की जांच से मिली पुष्टि:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की जांच में यह वस्तुएं ईसा पूर्व 1000-2000 साल पुरानी पाई गई हैं। इस जांच से यह साबित हो जाता है कि मैनपुरी क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी अत्यंत समृद्ध है। इन अवशेषों के अध्ययन से यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस क्षेत्र में प्राचीन सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र रहा होगा।
पहले भी मिल चुके हैं प्राचीन अवशेष:
मैनपुरी जिले में इससे पहले भी 4000 साल पुरानी तांबे की बनी हुई हथियारों की खोज हो चुकी है, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्ता को और पुख्ता करती है। इन तांबे के हथियारों से इस क्षेत्र की प्राचीन सभ्यता के बारे में बहुत कुछ पता चलता है और यह भी दर्शाता है कि यहां पर प्राचीनकाल में सभ्य समाज था, जो तकनीकी और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध था।
शोध की महत्वपूर्ण भूमिका:
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास एवं सांस्कृतिक विभाग के शोधकर्ताओं ने इस खोज से न केवल इस क्षेत्र की प्राचीन सभ्यता को उजागर किया है, बल्कि भारतीय पुरातात्विक इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ा है। इस प्रकार की खोजें भारत के सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध बनाती हैं और यह दर्शाती हैं कि भारतीय सभ्यताएं सदियों से प्राचीन और समृद्ध रही हैं।
आगे का रास्ता:
इस खोज से भारतीय इतिहास और पुरातत्त्व के नए पहलुओं को उजागर करने की दिशा में एक नई शुरुआत हो सकती है। भविष्य में इस क्षेत्र में और अधिक खुदाई और अध्ययन किए जाने की संभावना है, जिससे मैनपुरी के प्राचीन इतिहास के बारे में और भी अधिक जानकारी प्राप्त हो सकेगी। यह खोज न केवल पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मैनपुरी और आसपास के क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को भी स्थापित करती है।
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