– 13 करोड़ रुपये से ज्यादा की धांधली का खुलासा
इंदौर, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में करोड़ों रुपये के स्टांप ड्यूटी घोटाले का खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार को पंजीयन विभाग के दो अधिकारियों और तीन रियल एस्टेट कारोबारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि इन लोगों ने सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए मिलकर जमीन की रजिस्ट्री में हेराफेरी की।
ईओडब्ल्यू के एसपी रामेश्वर यादव ने बताया कि आरोपियों में विवेक चुघ (एक्सक्लूसिव रियल्टी), हितेंद्र मेहता और अजय कुमार जैन (सेवनहार्ट्स बिल्डकान एलएलपी) के साथ-साथ उपपंजीयक संजय सिंह और वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने मिलकर डीएलएफ गार्डन सिटी प्रोजेक्ट से संबंधित जमीन की रजिस्ट्री में जानबूझकर गलत दर दिखाई।
कैसे हुआ घोटाला
जांच में सामने आया कि डीएलएफ गार्डन सिटी नामक प्रोजेक्ट का नाम रिवाइज्ड लेआउट प्लान से हटा दिया गया और अधूरी जानकारी वाला दस्तावेज सिस्टम में अपलोड किया गया। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री मांगलिया गांव की सामान्य गाइडलाइन दर 14,200 रुपये प्रति वर्ग मीटर पर करवाई गई, जबकि वास्तविक दर 50,800 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। इस अंतर के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
साझे षड्यंत्र में अधिकारियों की भूमिका
बताया गया है कि रियल एस्टेट कारोबारियों ने दलालों के माध्यम से रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों को इस योजना में शामिल किया। इन अधिकारियों ने कम गाइडलाइन दर पर रजिस्ट्री करवाने का रास्ता सुझाया और इसके बदले में मोटी रिश्वत ली गई। ईओडब्ल्यू के डीएसपी पवन सिंघल ने बताया कि इस मामले में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराएं 318(4), 61(2), 338, 336(3), और 340 तथा भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7(सी) के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
बायपास क्षेत्रों पर भी नजर
ईओडब्ल्यू अब शहर के बायपास इलाकों में विकसित की जा रही अन्य कॉलोनियों की रजिस्ट्री की भी जांच करेगी। शुरुआती संकेत मिल रहे हैं कि ऐसे कई प्रोजेक्ट्स में भी गाइडलाइन दरों में गड़बड़ी कर स्टांप ड्यूटी बचाई गई है। अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हुआ है।
डीएलएफ ग्रुप भी रडार पर
इस घोटाले में डीएलएफ ग्रुप का नाम सामने आने के बाद, उसे भी जांच के दायरे में लाया गया है। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि इसमें अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। अब तक की जांच से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि रजिस्ट्री कार्यालय भी अब भूमाफियाओं और अन्य विभागों के बीच गहराते गठजोड़ का हिस्सा बन चुका है।
(Udaipur Kiran) तोमर
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