जयपुर, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । भाद्रपद मास की चतुर्थी पर आज पूरे राजस्थान में गणपति बप्पा के जयकारों के साथ गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जा रही है। जयपुर से लेकर उदयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर और सवाई माधोपुर तक प्रमुख मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगी हैं। गणपति बप्पा मोरया… मंगल मूर्ति मोरया के जयघोष से मंदिरों और पंडालों में धार्मिक उत्साह का वातावरण है।
राजधानी जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में मंगलवार देर रात से ही श्रद्धालु कतारों में लगने लगे थे। बुधवार तड़के मंगला आरती के साथ गणेश चतुर्थी महोत्सव की शुरुआत हुई। विशेष श्रृंगार में भगवान को स्वर्ण मुकुट पहनाकर चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया गया। महंत परिवार की ओर से तैयार कराया गया नौलखा हार भी गणपति को धारण कराया गया। मंदिर में 3100 किलो मेहंदी पाली के सोजत से मंगवाकर अर्पित की गई। शाम को पूजा के बाद पांच स्थानों पर प्रसाद स्वरूप मेहंदी का वितरण किया गया।
वहीं ब्रह्मपुरी स्थित नहर के गणेश मंदिर में सुबह पांच बजे मंगला आरती हुई। भगवान को राजशाही वेशभूषा पहनाई गई और दूर्वा समर्पण के साथ विशेष पूजन किया गया। मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। गढ़ गणेश मंदिर में परंपरानुसार गणपति बाल स्वरूप में विराजमान हुए। यहां पंचामृत अभिषेक और पुष्पमाला श्रृंगार किया गया। सहस्त्र दुर्वा और सहस्त्र मोदक अर्पित कर भक्तों ने गणपति का आशीर्वाद लिया।
रणथम्भौर: त्रिनेत्र गणेश मंदिर में लक्खी मेला
सवाई माधोपुर के रणथम्भौर स्थित ऐतिहासिक त्रिनेत्र गणेश मंदिर में तीन दिन से लक्खी मेला चल रहा है। बुधवार को भगवान गणेश का सात नदियों के जल से अभिषेक किया गया। इसके लिए मुंबई और जयपुर से विशेष पोशाक और मुकुट मंगवाए गए। मंगलवार शाम को हजारों भक्त पैदल दर्शन के लिए पहुंचे, जिससे रणथम्भौर रोड पर करीब एक घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही। यहां तक कि व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे कलेक्टर कानाराम और एसपी अनिल कुमार भी जाम में फंस गए।
जोधपुर: प्रथमेश्वर गणेश जी के दर्शन को लंबी कतार
मरु नगरी जोधपुर में भी गणेश चतुर्थी उत्साह से मनाई जा रही है। पहाड़ी पर बने रातानाडा गणेश मंदिर में सुबह से ही करीब आधा किमी लंबी कतार में भक्त दर्शन के लिए इंतजार कर रहे हैं। यह मंदिर भूतल से 108 फीट ऊंचाई पर स्थित है और मारवाड़ के सभी मंगल कार्यों का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इसी तरह सोजती गेट और जूनी मंडी स्थित इश्किया गणेश मंदिर में भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। करीब 100 साल पुराना यह मंदिर युवाओं में विशेष लोकप्रिय है। मान्यता है कि यहां मनोकामना मांगने पर विवाह संबंध और प्रेम की इच्छाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
कोटा: खड़े गणेश जी मंदिर में चांदी का छत्र
कोटा में गणेश चतुर्थी पर घर-घर और पांडालों में गणपति की स्थापना की गई। शहर में करीब एक हजार छोटे-बड़े पांडाल सजे हैं। खड़े गणेश जी मंदिर में मंगलवार रात 12 बजे से दर्शन शुरू हो गए थे। यहां भगवान गणेश का विशेष श्रृंगार किया गया और 5 किलो चांदी का छत्र चढ़ाया गया। सोने के वर्क से भी अलंकरण किया गया। मंदिर में श्रद्धालुओं की कतारें सुबह से ही लगी हुई हैं।
अजमेर: 527 साल पुराने मंदिर में विशेष पूजा
अजमेर के आगरा गेट स्थित प्रसिद्ध गणेश मंदिर में बुधवार को विशेष अनुष्ठान हुए। यह मंदिर 527 साल पुराना है और गणेश चतुर्थी पर यहां विशेष भीड़ उमड़ती है। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आरती की। भगवान गणेश का गंगाजल और केसर से अभिषेक कर 1200 सुपारी से पूजन किया गया।
उदयपुर: बोहरा गणेश जी मंदिर में भव्य सजावट
झीलों की नगरी उदयपुर में गणेश चतुर्थी पर्व उल्लास और श्रद्धा से मनाया जा रहा है। प्राचीन बोहरा गणेश जी मंदिर में अलसुबह से ही पुरुषों और महिलाओं की अलग-अलग कतारें लगी हैं। मंदिर को रंग-बिरंगी फर्रियों और रोशनी से सजाया गया है। सुबह चार बजे से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए। भगवान को सोना-चांदी के आभूषण पहनाकर श्रृंगार किया गया। दोपहर 12:15 बजे महाआरती और शाम 7:15 बजे दूसरी महाआरती का आयोजन होगा। शहर में बोहरा गणेशजी के अलावा जाड़ा गणेशजी, पाला गणेशजी और दुधिया गणेशजी मंदिरों में भी विशेष कार्यक्रम हो रहे हैं। धानमंडी में मन्नत वाले राजा और बापू बाजार में उदयपुर चा राजा के रूप में विशाल गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की गई है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष तीन साल बाद गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शुभ योग का विशेष संयोग बन रहा है। चित्रा नक्षत्र और बुधवार को पड़ने वाली चतुर्थी की इस तिथि का महत्व और बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी संयोग में देवी पार्वती ने गणपति की मिट्टी की प्रतिमा बनाई थी, जिसमें भगवान शिव ने प्राण प्रतिष्ठित किए थे। शुभ मुहूर्त में गणपति स्थापना का पहला समय सुबह 11:10 से दोपहर 12:30 तक और दूसरा दोपहर 3:45 से शाम 6:45 तक है। इस दौरान घर-घर, मंदिरों और पांडालों में गणेश प्रतिमाएं विराजित की गईं।
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(Udaipur Kiran)
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