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करपात्र प्राकट्योत्सव के पहले दिन एक लाख किशमिस से हुआ गणपति लक्षार्चन

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-14 दिवसीय करपात्र प्राकट्योत्सव की शुरूआत

वाराणसी, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । दुर्गाकुण्ड स्थित श्री धर्मसंघ (मणि मन्दिर) परिसर में सोमवार को 14 दिवसीय 118 वें करपात्र प्राकट्योत्सव का शुभारंभ प्रथमेश गणपति की आराधना से हुआ। वैदिक मंत्रोंच्चार और गणेश जी के सहस्त्र नाम की आवृत्तियों के साथ एक लाख किशमिस (द्राक्षाफल) से गणपति का लक्षार्चन किया गया। इसके साथ ही 14 दिनों तक चलने वाले विविध धार्मिक अनुष्ठान भी प्रारंभ हो गए।

गणेश लक्षार्चन के अवसर पर मुख्य यजमान पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने साविधि गणपति का पूजन किया। आचार्य शिवपूजन पाण्डेय एवं वैदिक बटुकों ने चारों वेदों का स्वस्तिवाचन किया। उसके पश्चात विधि विधान पूर्वक गणेश वंदना एवं किसमिस से गणपति विग्रह का षोड्षोपचार एवं राजसोपचार पूजन किया गया। आचार्य ने गौरी गणेश और वरुण कलश पूजन किया। इसके बाद भगवान गणेश का दूध, दही, घी, मधु, शर्करा के सम्मिश्रण से तैयार पंचामृत स्नान कराया गया। विभिन्न फलों के रसों से फलोदक स्नान, गर्भोदक स्नान, विभिन्न पुष्पों से पुष्पोदक स्नान, चंदन से गंधोदक स्नान तथा गंगाजल से स्नान कराने के पश्चात राज राजसोपचार विधि से गणेश जी का विधिवत पूजन किया गया। उसके पश्चात मुख्य यजमान एवं 35 भूदेवों द्वारा गणपति का आह्वान कर गणेश सहस्त्रनाम में उल्लेखित गणेश जी के 1008 नामों से उन्हें किसमिस (द्राक्षा) अर्पित कर लक्षार्चन किया गया। आरती एवं मंत्र पुष्पांजलि के साथ पूजन विधि सम्पन्न किया गया।

धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने बताया कि गणेश लक्षार्चन सनातन धर्म में अत्यंत विशिष्ट अनुष्ठान माना जाता है, इसके करने मात्र से सभी प्रकार के मनोवांछित फल प्राप्त होते है और समस्त बाधाएं दूर होती है। गणपति साक्षात विघ्नहर्ता है और वें सारे विघ्नों को दूर कर देते है। उन्होंने बताया कि करपात्र प्राकट्योत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को सायं गोधूलि बेला में (06 से 6:30 के बीच) करपात्र दीपावली का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर एक साथ 43,070 दीपक जलाएं जाएंगे।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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