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थाईलैंड के 75 बौद्ध धर्मावलंबी उप्र के कुशीनगर में कर रहे वर्षावास

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कुशीनगर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में वर्षावास के लिए थाईलैंड के 75 बौद्ध धर्मावलंबियों का दल पहुंचा है। यहां के थाई वाट बौद्ध विहार में दल वर्षावास के तीन माह के दौरान प्रवास करने के साथ बौद्ध धर्म का अध्ययन-चिंतन करेगा। दल में 20 महिला भिक्षु भी शामिल हैं। शरद पूर्णिमा को चीवर दान के बाद दल स्वदेश रवाना होगा।

थाई वाट में थाई मोनास्ट्री के प्रभारी व बौद्ध धर्म गुरु चखुन सोमपोंग व चखुन सोंगक्रान ने बुधवार को प्रवासी बौद्ध भिक्षुओं को वर्षावास की महत्ता के संबंध जानकारी दी। धर्म गुरुओं ने भिक्षुओं को विनय व शील को जीवन में आत्मसात करने की सीख दी। उन्हाेंने कहा कि इससे आध्यात्मिकता का विकास होता है और संघ की एकता व सामुदायिक जीवन को समृद्ध बनाने की शक्ति मिलती है। फ्रा कित्तिफन, फ्रा बुनमा, फ्रा दम, फ्रा प्रवीन आदि भी प्रवासी बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 20 अक्टूबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्वार पूर्णिमा को कुशीनगर में चीवर (वस्‍त्र) दान किया था।

क्या है वर्षावास

वर्षावास बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला वर्षावास इ.स. पूर्व 527 में सारनाथ के ऋषीपतन में किया था। इस स्थान पर उन्होंने अपना 45वां वर्षावास भी किया। इसके अलावा उन्होंने श्रावस्ती, जेतवन, वैशाली, राजगृह में वर्षावास किया। वर्षाकाल में बौद्ध भिक्षु व भिक्षुणियां आषाढ़ पूर्णिमा से क्वार पूर्णिमा की तीन माह की अवधि तक एक ही स्थान पर रहकर धर्म का अनुशीलन करते हैं। विशेष परिस्थितियों में गुरु की आज्ञा से सूर्यास्त के पूर्व लौटने की शर्त के साथ बाहर जा सकते हैं।

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(Udaipur Kiran) / गोपाल गुप्ता

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