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साइबर ठग अब कॉल फॉरवर्डिंग का इस्तेमाल कर लोगों से कर रहे है ठगी

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जयपुर, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने आम जनता को साइबर ठगों की एक नई और खतरनाक ठगी की तकनीक के प्रति सतर्क किया है। पुलिस के अनुसार साइबर अपराधी अब कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा का दुरुपयोग कर लोगों के मोबाइल नंबरों को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं और इसके माध्यम से उनके बैंक खातों व सोशल मीडिया खातों तक पहुंच बना रहे हैं।

साइबर क्राइम शाखा के एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि ठग पहले सोशल मीडिया से लोगों की निजी जानकारी, जैसे जन्मदिन या शादी की सालगिरह आदि जुटाते हैं और फिर फोन या व्हाट्सएप कॉल के जरिये संपर्क करते हैं। वे खुद को किसी पार्सल कंपनी या उपहार योजना से जुड़ा बताकर लोगों को भ्रमित करते हैं और एक विशेष कोड डायल करने को कहते हैं। यह कोड *21 से शुरू होता है और एक नंबर डालने के बाद # से समाप्त होता है। जैसे ही व्यक्ति यह कोड डायल करता है, उसके मोबाइल की कॉल फॉरवर्डिंग सुविधा सक्रिय हो जाती है, जिससे उसके सभी कॉल और मैसेज, जिनमें ओटीपी भी शामिल होते हैं, सीधे ठग के पास पहुंचने लगते हैं।

इस तकनीक के जरिये अपराधी व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट्स का नियंत्रण हासिल कर लेते हैं और फिर उसके दोस्तों व परिचितों से किसी बहाने से पैसे मांगते हैं। कई मामलों में पीड़ितों के बैंक खातों तक भी पहुंच बनाकर आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है।

राजस्थान पुलिस ने लोगों को इस तरह की साइबर ठगी से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें अपने व्हाट्सएप और जीमेल जैसे खातों पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) सक्रिय करना, अनजान नंबरों से सावधान रहना, किसी भी परिस्थिति में ओटीपी साझा न करना और अज्ञात लिंक पर क्लिक न करना शामिल है। यदि किसी को कोई कॉल या संदेश संदिग्ध लगता है, तो उसे चक्षु पोर्टल पर रिपोर्ट करने की सलाह दी गई है।

इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार की साइबर ठगी का शिकार हो जाता है, तो वह तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करे या साइबर क्राइम पोर्टल http://www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराए। साथ ही, अपने नजदीकी पुलिस थाने या साइबर थाने में भी सूचना दें।

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(Udaipur Kiran)

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