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बहुचर्चित आरटीओ मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा लगाई खात्मा रिपोर्ट न्यायालय ने की खारिज, सन्देह के घेरे में जांच एजेंसी

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जबलपुर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिला न्यायालय में भ्रष्टाचार से जुड़े चल रहे एआरटीओ संतोष पाल वाले बहुचर्चित मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा न्यायालय में खात्मा रिपोर्ट पेश की गयी। जिस पर आवेदकों की आपत्ति को सुनते हुए न्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने ईओडब्ल्यू एसपी को आगे की जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

परिवादी एडवोकेट धीरज कुकरेजा एवं एडवोकेट स्वप्निल सराफ द्वारा अनावेदक संतोषपाल और रेखा पाल के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 13 (1) (बी), 13(2) के अंतर्गत जिला न्यायालय जबलपुर में वर्ष 2022 में प्रकरण पेश किया गया था। उक्त प्रकरण में ईओडब्ल्यू द्वारा प्रस्तुत खात्मा रिपोर्ट पर आपत्ति पेश की। न्यायालय ने आवेदकगणों के अधिवक्ता विजय श्रीवास्तव के तर्को को सुनने के पश्चात खात्मा रिपोर्ट निरस्त करते हुए पुनः बिन्दुवार आगे की जांच हेतु ईओडब्ल्यू एसपी जबलपुर को निर्देश दिये।

आवेदक धीरज कुकरेजा और स्वप्निल सराफ के अनुसार ईओडब्ल्यू द्वारा आरोपितों को बचाने के उद्देश्य से कूटरचित दस्तावेजों द्वारा पेश खात्मा रिपोर्ट में इनवेंट्री की जो कुल योग्य राशि दर्शित की गई है,वह पूर्णतः असत्य है। जबकि इनवेंट्री का वास्तविक मूल्य राशि जो रेड के समय साक्षियों के द्वारा हस्ताक्षरित पंचनामा में उल्लेखित है वह कुछ और है। इस प्रकार अनावेदकगणों को लाभ पहुँचाने के लिये दोषपूर्ण रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायालय के साथ धोखाधड़ी करते हुए कूटरचित दस्तावेज/रिपोर्ट प्रस्तुत कर अनावेदकगणों को लाभ पहुँचाने के लिये रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इसी प्रकार अनावेदकगणों और उनके पुत्रों की सम्पत्तियों जो कि शताब्दीपुरम योजना क. 11 उखरी रोड एवं नरसिंहपुर स्थित हैं खात्मा रिपोर्ट में उसके मूल्यांकन में हेरफेर कर अनावेदकगणों को लाभ पहुँचाया गया है।

खात्मा रिपोर्ट में प्रदर्शित 12 बोर एवं 25 बोर के 8 राउंड का इन्वेंट्री मूल्य कम मूल्यांकन किया गया है। इसके साथ ही किराये से जो आय दर्शाई गई है उसमें किरायेदारों के फर्जी अनुबंध पत्र प्रस्तुत किये गये है। उनका आईटीआर विश्लेषण सत्यापन स्टाम्प खरीदी सत्यापन नहीं कराकर फर्जी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसका सत्यापन जाना आवश्यक है। इसके साथ ही कार और मोटरसाइकिल के कम मूल्य दर्शाने के अलावा ग्वारीघाट की संपत्ति के मूल्यांकन में भी हेरफेर किया गया है।

इस प्रकार तत्कालीन ईओडब्ल्यू पुलिस अधीक्षक आर.डी. भारद्वाज एवं आई.जी सुनील पाटीदार द्वारा यूएनसीआर में प्रस्तुत रिपोर्ट भ्रष्ट,अधूरी एवं एकतरफा का आरोप लगाते हुए आवेदकगणो के अधिवक्ता विजय श्रीवास्तव द्वारा न्यायालय में लिखित में तर्क पेश किया गया। जिस पर न्यायालय ने खात्मा रिपोर्ट खारिज कर दी।

उल्लेखनीय है कि एडवोकेट धीरज कुकरेजा एवं स्वप्निल सराफ भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष छेड़े हुए हैं। उन्होंने ए आरटीओ संतोष पाल, पूर्व एडिशनल एसपी राजेश तिवारी,तत्कालीन ईओडब्ल्यू एसपी आरडी भारद्वाज सहित कई नामचीन हस्तियों के विरुद्ध न्यायालय में मामले प्रस्तुत किये हैं।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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