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लॉर्ड्स टेस्ट में मिली हार के बाद बोले कप्तान गिल–निचले क्रम का जुझारूपन और साहस काबिले तारीफ

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लंदन, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारत के कप्तान शुभमन गिल ने लॉर्ड्स टेस्ट में टीम की कड़ी लड़ाई और खासतौर पर निचले क्रम के खिलाड़ियों के जुझारूपन की सराहना की। भारत इस रोमांचक मुकाबले में अंतिम सत्र तक मुकाबला करता रहा, लेकिन जीत से महज 22 रन दूर रह गया।

पांचवें दिन के पहले सत्र में भारत की स्थिति बेहद खराब रही और टीम 82 रन पर सात विकेट खो बैठी थी। जीत के लिए अभी भी 111 रन की दरकार थी, लेकिन रवींद्र जडेजा ने नितीश रेड्डी, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ क्रमशः 30, 35 और 23 रनों की साझेदारी कर भारत को जीत के करीब ला दिया।

गिल ने मैच के बाद कहा, “जडेजा भारत के सबसे मूल्यवान खिलाड़ियों में से एक हैं। इस सीरीज में उन्होंने लगातार चौथी फिफ्टी लगाई है और जिस तरह से उन्होंने संयम और धैर्य दिखाया, वह शानदार था। उन्होंने 55 में से 30 ओवर बल्लेबाजी की और 99 में से 61 रन बनाए। यह दिखाता है कि वह कितने भरोसेमंद खिलाड़ी हैं। निचले क्रम के साथ बल्लेबाजी करना हमने पहले दो मैचों में चर्चा की थी और आज जो साहस और जज्बा उन्होंने दिखाया, वो प्रशंसनीय है।”

गिल ने माना कि अंतिम दो दिन बल्लेबाजी में लय नहीं मिलने के कारण 192 रन का लक्ष्य मुश्किल बन गया। यशस्वी जायसवाल के शुरुआती विकेट के बाद राहुल और करुण नायर ने कुछ स्थिरता दी थी, लेकिन चौथे दिन स्टंप्स तक भारत 58/4 पर पहुंच चुका था, जिसमें गिल और नाइटहॉक आकाश दीप भी आउट हो गए थे।

उन्होंने कहा, “अगर शीर्ष क्रम में एक-दो 50 रन की साझेदारी हो जाती, तो बाद में बल्लेबाजी आसान हो जाती, यह पहली बार था जब हमने सीरीज में वैसा प्रदर्शन नहीं किया, जैसा करते आए हैं। लेकिन ऐसा होता है। हमें लगा कि 192 का लक्ष्य हासिल किया जा सकता था, अगर हम शुरुआती 20-25 ओवर संभाल लेते।”

मैच के दौरान दोनों टीमों के बीच हुई स्लेजिंग को लेकर गिल ने कहा, “थोड़ी बहुत गर्मा क्रिकेट का हिस्सा होती है। दोनों टीमें अपना सबकुछ झोंक देती हैं। ऐसे में थोड़ा तनाव होना स्वाभाविक है, लेकिन इसमें कोई दुश्मनी नहीं है। अगली बार जब दोनों टीमें आमने-सामने होंगी, तो आपस में वही सम्मान रहेगा।”

सीरीज में फिलहाल भारत 1-2 से पीछे है, लेकिन गिल का मानना है कि उन्होंने ज्यादातर दिनों में बेहतर क्रिकेट खेला है।

उन्होंने कहा, “अगर हम 15 दिन देखें तो हो सकता है हमने ज़्यादा दिन बेहतर खेले हों, लेकिन जो सत्र हमारे हाथ से निकले, वे बहुत बुरी तरह निकले। हमें यह समझने की जरूरत है कि जब चीजें हमारे अनुसार नहीं चल रही हों, तब कैसे नुकसान को सीमित किया जाए। अगर आखिरी साझेदारी में 10 रन और जुड़ जाते, तो दबाव इंग्लैंड पर होता। ऐसे में विपक्षी टीम भी गलती कर सकती थी। कुल मिलाकर हम पांच दिन की कड़ी मेहनत के बाद गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमने पूरा प्रयास किया।

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(Udaipur Kiran) दुबे

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