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बांसवाड़ा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विराट पथ संचलन: राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम

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Banswara , 27 अक्टूबर Rashtriya Swayamsevak Sangh (आरएसएस) की ओर से Banswara के तलवाड़ा में आयोजित विराट पथ संचलन ने कस्बे को एक अद्भुत राष्ट्रीय एकता और शक्ति के अनुभव से भर दिया. जैसे ही हजारों स्वयंसेवक तलवाड़ा की गलियों से गुज़रे, पूरा गांव मानो एकजुट होकर इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बन गया. हर ओर जयघोष, पुष्प वर्षा, और छतों से हाथ जोड़कर स्वागत करने वाले लोग दिख रहे थे. ऐसा दृश्य शायद ही इससे पहले देखा गया हो.

दोपहर में सभी स्वयंसेवक तलवाड़ा के सीनियर स्कूल में इकट्ठा हुए, जहां से तीन अलग-अलग रास्तों से उनका संचलन शुरू हुआ. पावर हाउस, पुष्प वाटिका और सन डेयरी से गुज़रते हुए, 4:03 बजे इस विशाल संचलन की शुरुआत हुई और गांधी मूर्ति पर 4:22 पर यह तीनों मार्ग एक ही संगम में बदल गए.

संघ का अद्भुत प्रदर्शन

इस संचलन में तलवाड़ा के 114 गांवों से आए 1,750 से अधिक स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया, और उनके जोशीले कदमों ने पूरे कस्बे में राष्ट्रभक्ति का संदेश फैलाया. गांव के कोने-कोने में लोग पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का अभिनंदन करते दिखे.

संतों के आशीर्वचन और प्रेरणादायी वाणी

सीनियर स्कूल के समापन समारोह में जैन संत पूज्य अजित सागर जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में जाति-धर्म के भेदभाव को भूलकर हमें एकजुटता के मार्ग पर चलना होगा. समाज की भलाई के लिए हमें मिलकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य करना होगा. संतों का मार्गदर्शन आज के समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें संघ के अनुशासन व आदर्शों से प्रेरणा लेकर इसे सशक्त बनाना होगा.

संघ के विभाग प्रचारक विकासराज का जोशीला उद्बोधन

Rashtriya Swayamsevak Sangh के विभाग प्रचारक विकासराज ने इस अवसर पर कहा कि संघ की यात्रा 99 वर्षों से अनवरत रूप से राष्ट्र सेवा में लगी हुई है. यह एक साधना है, जिसे स्वयंसेवकों ने अपने जीवन का धर्म बना लिया है. उन्होंने पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर और भगवान बिरसा मुंडा के योगदान का उल्लेख करते हुए उनका स्मरण किया. उन्होंने पांच मुख्य कर्तव्यों पर जोर देते हुए कहा कि –

  • नागरिक कर्तव्य हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह नियमों का पालन करते हुए, संविधान की मर्यादा का आदर करे.
  • पर्यावरण संरक्षण हमें प्रकृति से सामंजस्य बनाकर चलना होगा और उसके संरक्षण में योगदान देना होगा.
  • सामाजिक समरसता समाज में ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाकर एकता का भाव रखना होगा.
  • स्व का बोध हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और आयुर्वेद जैसी धरोहरों पर गर्व करना चाहिए.
  • कुटुंब प्रबोधन परिवार वह नींव है, जिस पर भारतीय संस्कृति का आधार है. इसे सशक्त बनाना हमारा दायित्व है.
  • उनके शब्दों ने वहां मौजूद प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में समाज व राष्ट्र के प्रति एक गहरी भावना को जाग्रत कर दिया.

    संगठन का भाव और समर्पण का संकल्प

    कार्यक्रम में संतों ने भी अपने विचार रखे और संघ के स्वयंसेवकों के सेवा कार्यों की सराहना की. उन्होंने जोर दिया कि संघ का हर स्वयंसेवक समाज को समर्पित रहता है और इसे संगठित करने का कार्य करता है. संतो ने कहा कि संगठित समाज ही राष्ट्र को मजबूत कर सकता है और उसमें उन्नति के गुण भरे रहते हैं.

    इस अवसर पर पूरे Banswara जिले के नागरिकों ने जोश और श्रद्धा से भाग लिया, और एक बार फिर यह संदेश दिया कि जब समाज संगठित होता है, तो उसके समक्ष कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती.

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