लखनऊ, 4 जून (Udaipur Kiran) । 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को यहां एक बैठक कर केन्द्र और राज्यों के बीच केन्द्रीय करों के बंटवारे पर चर्चा की। पनगढ़िया ने केन्द्र सरकार के राजस्व में से राज्यों काे मिलने वाली हिस्सेदारी बढ़ाने
की मांग की है।
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया आज उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। केन्द्र और राज्यों के बीच केन्द्रीय करों के बंटवारे पर वित्त आयोग की बैठक में चर्चा हुई। इसके बाद लोकभवन में आयाेजित पत्रकार वार्ता में पनगढ़िया ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा एकत्रित करों में राज्यों की हिस्सेदारी को कुछ हद तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन जितना राज्यों की मांग है, उतना नहीं किया जा सकता। पनगढ़िया ने बताया कि वर्तमान में केन्द्र सरकार अपने कर राजस्व का 59 प्रतिशत अपने पास रखती है। 41 फीसदी राज्यों को देती है। उत्तर प्रदेश के साथ ही कई राज्यों ने इस हिस्सेदारी को 41 से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है। यह 41 प्रतिशत सभी राज्यों को सीधा बंटवारा होता है।
अरविन्द पनगढ़िया ने पत्रकाराें काे बताया कि वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे का प्रस्ताव तैयार करना है। तैयार प्रस्ताव को भारत के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि आयोग के प्रस्तावों को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार किया गया है। इसके अलावा, वित्त आयोग स्थानीय निकायों और पंचायतों के लिए बजट आवंटन का प्रस्ताव भी तैयार करता है, जो 72वें संवैधानिक संशोधन का हिस्सा है। आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए भी आयोग बजट का प्रस्ताव देता है।
पनगढ़िया ने कहा कि आयोग के सदस्य हर राज्य का दौरा कर वहां की आर्थिक और सामाजिक जरूरतों का आकलन करते हैं। उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से स्थानीय निकायों और पंचायतों के लिए बजट आवंटन पर चर्चा हुई। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश जीएसटी संग्रह में देश में पहले स्थान पर है। यह राज्य की आर्थिक ताकत को दर्शाता है। वित्त आयोग के अध्यक्ष पनगढ़िया ने कहा कि करों के बंटवारे में कई मानदंडों को ध्यान में रखा जाता है, जैसे जनसंख्या, क्षेत्रफल, वन और पर्यावरण, आय की दूरी (इनकम डिस्टेंस), और जनसांख्यिकीय प्रदर्शन, उत्तर प्रदेश ने कुछ विशेष प्रस्ताव रखे हैं। राज्य ने क्षेत्र के आधार पर हिस्सेदारी को 15 से घटाकर 10 फीसदी करने और वन व पर्यावरण के लिए हिस्सेदारी को 10 से 5 प्रतिशत करने की मांग की है। साथ ही, कर संग्रह में 10 प्रतिशत और जनसांख्यिकी में 7.5 प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रस्ताव दिया है।
अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग इन प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। उनका उद्देश्य केन्द्र और राज्यों के बीच संतुलित और निष्पक्ष कर बंटवारा सुनिश्चित करना है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की मांगों को ध्यान में रखते हुए आयोग अपनी सिफारिशें तैयार करेगा, जो स्थानीय निकायों और आपदा प्रबंधन को भी मजबूत करेंगी।
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(Udaipur Kiran) / दिलीप शुक्ला
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