शिमला, 23 अप्रैल . पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो अहम फैसले लिए हैं. पहली जून 2025 से सूबे में 500 मिलीलीटर तक की प्लास्टिक (पीईटी) पानी की बोतलों का उपयोग सरकारी आयोजनों और सभी होटलों में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसके साथ ही 29 अप्रैल 2025 से प्रदेश के सभी सार्वजनिक व निजी वाहनों में कार बिन यानी कूड़ेदान लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.
यह निर्णय हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 की धारा 3-ए (1) के अंतर्गत लिया गया है. पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डीसी राणा ने बताया कि प्लास्टिक की बोतलों के अत्यधिक प्रयोग से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, जिसके चलते यह प्रतिबंध लागू किया जा रहा है. इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है.
उन्होंने कहा कि अब सरकारी व निजी संस्थानों को प्लास्टिक की जगह कांच की बोतलें, स्टील के कंटेनर या वाटर डिस्पेंसर जैसे वैकल्पिक और पर्यावरण-अनुकूल साधनों का उपयोग करना होगा. साथ ही सभी सरकारी संस्थाएं लोगों को प्लास्टिक बोतलों के इस्तेमाल से बचने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाएंगी.
डीसी राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अधिनियम का उल्लंघन करने पर सख्त जुर्माने का प्रावधान किया है. प्लास्टिक या बायोडिग्रेडेबल प्लेट्स को सार्वजनिक स्थानों, मंदिर परिसरों, जंगलों, ढाबों व दुकानों में फेंकने पर 5000 रूपये तक का जुर्माना लगेगा.
उन्होंने कहा कि वाहनों में कचरा न फैलाने के उद्देश्य से सभी टैक्सी, बसों और अन्य सार्वजनिक वाहनों में कार बिन्स लगाना जरूरी कर दिया गया है. आरटीओ और एमवीआई अब केवल उन्हीं वाहनों को पास या पंजीकृत करेंगे जिनमें ये व्यवस्था होगी. बिना कार बिन के वाहन मिलने पर 10,000 रूपये और कचरा सड़क या खुले स्थानों पर फेंकने पर 1,500 रूपये का जुर्माना लगेगा.
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/ उज्जवल शर्मा
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