संत अच्युतानंद जी 16वीं सदी में कटक के तिलकाना नामक स्थान पर जन्मे थे। उनको गोपालगुरु नाम से भी जानते हैं। संत अच्युतानंद के दादा गोपीनाथ मोहंत जी पुरी के जगन्नाथ मंदिर में मुंशी थे। वर्तनाम में उनकी 15वीं पीढ़ी के सेवक गौरवजी जगन्नाथ पुरी में सेवा दे रहे हैं।
अपनी युवावस्था में संत अच्युतानंद ने चेतन्य महाप्रभु से दिक्षा ली थी। संत अच्युतानंद दास को ओड़िसा के पंचसखा या पांच मित्रों के समूह में से एक माना जाता है, जिन्होंने ओड़िसा के लिए हिंदू प्राचीन ग्रंथों को संस्कृत से उड़िया में अनुवाद किया था। संत अच्युतानंद दास जी ने हरिवंश, केबार्ता गीता, गोपलंकाओगलाब, गुरु भक्ति गीता, अनाकार संहिता, 46 पटल आदि शामिल है। उन्होंने भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्यकाल पर अलग अलग रचनाएं भी की हैं जिन्हें मालिका के नाम से जाना जाता है। उनकी सभी रचनाएं अत्यंत जटिल है। भविष्यकाल पर की गई रचना को भविष्य मालिका कहने लगे हैं।ALSO READ:
1. भविष्य मालिका में लिखा है कि शनि जब मीन राशि में जाएगा तब भारत का समय खराब शुरू होगा। ढाई वर्ष तक अराजकता रहेगी।
2. जब गगन गादी संभालेंगे तब जगन्नाथ का मंदिर समुद्र के जल में डूब जाएगा। मंदिर क्या संपूर्ण ओडिशा में जल प्रलय होगी।
3. भविष्यवाणी के अनुसार एक संत के हाथों में होगी देश की बागडोर जो अविवाहित होगा। वही संपूर्ण क्षत्रप होगा।
4. जब गगन गादी पर होंगे और ओड़िसा के दिव्यसिंह राजा गादी पर होंगे तब भारत पर आक्रमण होगा। ओड़िशा पर जो बम गिराएं जाएंगे वह काम नहीं नहीं करेंगे। भारत ही अंत में जीत जाएगा।
5. रशिया से सैंकड़ों लोग जगन्नाथजी के दर्शन करने आएंगे और ढेर सारा सोना अर्पित करेंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ओड़िसा के राजा दिव्यसिंह गजपति गादी पर विराजमान हैं और गगन नामक सेवक भी जगन्नाथ मंदिर की गादी पर विराजमान हैं। ओड़िसा में ऐसी जनश्रुति है कि वर्ष 2024 से लेकर 2033 तक दुनिया में सबकुछ बदल जाएगा।
डिस्क्लेमर : उपरोक्त जानकारी विभिन्न स्रोत पर आधारित है। इसकी आधिकारिक पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है।ALSO READ:
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