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एक पिता की दो बेटियों को ईशा योग सेंटर से निकालने की ज़िद और सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला

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Getty Images कोयम्बत्तूर स्थित ईशा फाउंडेशन का योग केंद्र

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को ईशा सेंटर के ख़िलाफ़ कार्रवाई रोकने का आदेश दिया है.

गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ समेत तीन सदस्यीय पीठ ने ईशा केंद्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है.

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने ईशा केंद्र में कथित तौर पर बंद दो महिलाओं से बात करने के बाद कहा, "उन्होंने कहा कि वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं."

इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट में दो महिलाओं के पिता की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया है.

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें क्या है मामला?

मद्रास हाई कोर्ट ने एक रिटायर्ड प्रोफेसर कामराज की उस याचिका के बाद ये आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी दो बेटियां योग केंद्र में हैं और उन्हें बाहर लाया जाए.

प्रोफ़ेसर का आरोप है कि उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है और उन्हें सेंटर में कैद करके रखा गया है.

लेकिन प्रोफ़ेसर की बेटियों ने मद्रास हाई कोर्ट को बताया कि वे ईशा सेंटर में अपनी मर्ज़ी से रह रही हैं.

ईशा योग केंद्र ने भी कहा है कि किसी को शादी करने या संन्यास लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है.

इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को जांच करने के आदेश दिए थे और चार अक्तूबर को रिपोर्ट जमा करने को कहा था.

अदालत के आदेश के बाद पुलिस और अन्य कई महकमों से जुड़े अधिकारियों ने ईशा योग केंद्र पर छापा मारा था. ये कार्रवाई बुधवार शाम तक चली.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को इस तरह से संस्थान में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने पुलिस को आदेश दिया कि वह उस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में जमा करे जिसे मद्रास हाई कोर्ट ने जमा करने को कहा था.

image BBC रिटायर्ड प्रोफे़सर कामराज पुलिस की छापेमारी

कोयम्बत्तूर के वेल्लिंगिरी में ईशा योग केंद्र पर कोयम्बत्तूर के जिला पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में 150 से अधिक पुलिसकर्मियों और सामाजिक कल्याण अधिकारियों की दो दिन तक हई छापेमारी बुधवार रात तक चली थी.

पुलिस की ये कार्रवाई मद्रास हाई कोर्ट की ईशा योग केंद्र को उसके ख़िलाफ़ यौन आरोपों सहित सभी आपराधिक मामलों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करने का आदेश देने के बाद हुई थी.

कोयम्बत्तूर के ज़िला पुलिस अधीक्षक कार्तिकेयन के नेतृत्व में समाज कल्याण विभाग, बाल कल्याण अधिकारी सहित अधिकारियों की एक टीम ने ईशा योग केंद्र की तलाशी ली थी.

पुलिस ने न केवल भिक्षुओं बल्कि ईशा में मौजूद कई लोगों से पूछताछ की है.

मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस से जांच की रिपोर्ट 4 अक्टूबर को अदालत को सौंपने का आदेश दिया गया था.

अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये रिपोर्ट 18 अक्टूबर उनके पास जमा करवाई जाए.

image Getty Images कोयम्बत्तूर के वेल्लिंगिरी में ईशा योग केंद्र मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

ईशा योग केंद्र की स्थापना 1992 में जग्गी वासुदेव ने तमिलनाडु के कोयम्बत्तूर ज़िले के वेल्लिंगिरी में की थी. इस केंद्र में हजारों विवाहित, अविवाहित और कुछ ब्रह्मचर्य पथ पर चलने वाले लोग रहते हैं.

कोयम्बत्तूर के वडावल्ली इलाके के निवासी कामराज ने मद्रास हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर ईशा योग केंद्र से अपनी दो बेटियों की वापसी की मांग की थी.

कामराज तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व प्रमुख हैं. उनकी 42 और 39 साल की दो बेटियां हैं.

उनकी बड़ी बेटी ने इंग्लैंड के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से मेक्ट्रोनिक्स में मास्टर्स किया है. साल 2008 में उनका तलाक हो गया था और उसके बाद वह ईशा सेंटर से जुड़ गई थीं.

छोटी बेटी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. फिलहाल दोनों ईशा सेंटर में रह रही हैं.

अपनी याचिका में कामराज ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों को 'उनके दिमाग की कार्यक्षमता को कम करने के लिए दवा दी गई थी' और जिसकी वजह से उन्होंने परिवार से अपना नाता तोड़ लिया था.

कामराज ने आरोप लगाया कि ईशा केंद्र में आने वाले कुछ लोगों का ब्रेनवॉश कर उन्हें संन्यासी बना दिया जाता है और उन्हें अपने माता-पिता से मिलने भी नहीं दिया जाता है.

कोर्ट में दायर याचिका में कामराज ने बताया था कि इस साल 15 जून को शाम छह बजे उनकी बड़ी बेटी ने उन्हें फोन किया और बताया कि उनकी छोटी बेटी ईशा योग केंद्र के ख़िलाफ़ मामले वापस लेने तक अनशन पर बैठ रही हैं

image BBC कोयम्बत्तूर के वेल्लिंगिरी में ईशा योग केंद्र में पहुंची पुलिस क्या कहती हैं बेटियां?

मद्रास हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के समय उनकी दोनों बेटियां अदालत में मौजूद थीं. कामराज का दावा है कि उनकी बेटियां ईशा केंद्र में कैद हैं लेकिन बेटियों का कहना है कि वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं और किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया है.

ईशा योग केंद्र की ओर से पेश वकील के राजेंद्र कुमार ने दलील दी कि वयस्कों को अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है.

राजेंद्र कुमार ने कहा कि अदालत का लड़कियों के निजी फ़ैसलों में हस्तक्षेप करना ग़ैर-ज़रूरी है. लेकिन जजों ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया.

पिता का अनुरोध क्या है?

कामराज का कहना है कि जब उनकी छोटी बेटी चेन्नई के एक प्रतिष्ठित निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रही थी. उसी दौरान वह कॉलेज के एक कार्यक्रम में जग्गी वासुदेव से प्रभावित हुई थी.

कामराज ने बीबीसी को बताया कि उनकी बेटी के साथ उनके कॉलेज में पढ़ने वाली 20 और लड़कियों ने अपनी नौकरी छोड़ी और ईशा केंद्र में शामिल हो गईं थी.

कामराज ने कहा, “साल 2016 में दोनों बेटियाँ ईशा सेंटर में शामिल हुईं थी. उसी साल एक याचिका दायर की गई और कोर्ट ने बेटियों से मिलने की इजाजत दे दी. साल 2017 में उन्होंने मेरी बेटियों से जिला अदालत में मेरे खिलाफ मामला दायर करवाया. मुझपर आरोप लगाया गया कि मैं ईशा सेंटर को बदनाम कर रहा हूं. केस ख़त्म होने में छह साल लग गए, इसलिए मैं तब तक उनसे मिल नहीं सका. पिछले साल मद्रास हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, मुझे उनसे दोबारा मिलने की अनुमति मिली."

कामराज ने बताया कि उन्होंने जिला कलेक्टर से शिकायत की थी कि माता-पिता वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के अनुसार देखभाल के अपने कर्तव्य में विफल हो रहे हैं. जब राजस्व आयुक्त के नेतृत्व में जांच की गई तो उन्होंने कहा कि अगर माता-पिता ईशा केंद्र आएंगे तो वे उनका ख्याल रखेंगे.

image Getty Images जग्गी वासुदेव मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

इस मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जज एस.एम. सुब्रमण्यम और वी. उन्होंने शिवज्ञानम ईशा केंद्र की विस्तृत जांच करने का आदेश दिया था.

न्यायाधीशों ने सवाल किया कि सद्गुरु के नाम से जाने जाने वाले जग्गी वासुदेव योग केंद्रों में "अपनी बेटी की शादी क्यों करते हैं और अन्य महिलाओं को अपना सिर मुंडवाने और संन्यासी के रूप में रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं?"

न्यायाधीशों ने अदालत में मौजूद महिलाओं से पूछा था, "आप आध्यात्मिक मार्ग पर होने का दावा करती हैं. क्या अपने माता-पिता को छोड़ना पाप नहीं लगता?”

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि 'इसके पीछे की सच्चाई का पता लगाने के लिए आगे की जांच की ज़रूरत है'

मद्रास हाई कोर्ट ने कोयम्बत्तूर उपनगरीय पुलिस को ईशा केंद्र के खिलाफ आरोपों की जांच करने और अदालत के सामने चार अक्टूबर को एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था.

image Getty Images जग्गी वासुदेव क्या कहता है ईशा सेंटर?

बीबीसी ने इस मामले को लेकर ईशा योग केंद्र से संपर्क किया. ईशा योग केंद्र के एक प्रवक्ता ने बीबीसी के साथ एक लिखित बयान साझा किया है.

इस बयान में कहा गया, "ईशा योग केंद्र किसी को शादी करने या संन्यास लेने के लिए मजबूर, प्रोत्साहित या प्रेरित नहीं करता है. दो ब्रह्मचारी महिलाओं के माता-पिता पिछले आठ सालों से अलग-अलग झूठे मामले दर्ज कर रहे हैं. वे कुछ गुप्त उद्देश्यों के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं. हाल ही में कामराज के ईशा योग केंद्र का दौरा करने और अपनी बेटियों से मिलने का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है और उसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश भी कर दिया गया है."

ईशा योग केंद्र ने अपने बयान में लिखा है, "साल 2016 में कोयम्बत्तूर ज़िला न्यायाधीशों की एक समिति ने कामराज की याचिका की जांच की थी. समिति ने दोनों बहनों से ईशा योग सेंटर में मुलाक़ात की थी."

ईशा योग केंद्र के मुताबिक इसके बाद जजों की समिति ने कहा था, "माता-पिता का दायर मामला सच नहीं है और हम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि जिन लोगों को हिरासत में लिये जाने का आरोप है, वे अपनी मर्जी से केंद्र में रह रहे हैं."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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