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क्या करेंगे सिद्दारमैया

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से जुड़े एक मामले में मंगलवार को आया कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला पहली नजर में कांग्रेस और सिद्दारमैया सरकार के लिए झटका है। BJP ने स्वाभाविक ही इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। अपवाद माना : हालांकि देखा जाए तो हाईकोर्ट का यह फैसला मुख्यमंत्री की भूमिका पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं है। कोर्ट के सामने सवाल यह था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच को मंजूरी देने का राज्यपाल का फैसला सही है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल आम तौर पर कैबिनेट की सलाह के मुताबिक ही काम करते हैं, लेकिन अपवाद के तौर पर कुछ मामलों में वह अपने विवेक से फैसला कर सकते हैं। मौजूदा मामला हाईकोर्ट के मुताबिक अपवाद की श्रेणी में आता है। जांच की निष्पक्षता : हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह रास्ता खुल गया है कि इस मामले में जांच की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाए। मुख्यमंत्री दोषी हैं या नहीं, यह तो जांच के बाद साफ होगा। अभी सिर्फ पक्ष और विपक्ष में किए जा रहे दावे हैं, जिनके आधार पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकाला जा सकता। मगर मुख्यमंत्री के खिलाफ किसी मामले में जांच शुरू होना भी कोई छोटी बात नहीं है। इसके साथ यह सवाल भी जुड़ जाता है कि क्या संबंधित व्यक्ति के मुख्यमंत्री पद पर बने रहते हुए सरकारी एजेंसियां निष्पक्ष जांच कर पाएंगी। सुप्रीम कोर्ट का विकल्प : यही वजह है कि हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को बल मिल गया है। हालांकि अभी हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील का विकल्प बाकी है। बहुत संभव है कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और कांग्रेस पार्टी इस मसले पर अपना रुख बदलने से पहले सुप्रीम कोर्ट की राय सामने आने का इंतजार करें। अलग-अलग प्रतिक्रियाएं : हाल के वर्षों में जहां राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं और सरकार चला रहे लोगों के खिलाफ आरोपों और विवादों में तेजी आई है, वहीं इन विवादों पर संबंधित पक्षों से एकदम अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हाल के ऐसे दो चर्चित मामले देखें तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले पद छोड़ दिया और जमानत पर छूटने के बाद वापस पद पर काबिज हो गए। दूसरी ओर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए पद पर बने रहे और जमानत पर बाहर आने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया। राजनीति के विविध रंग : ऐसे हर मामले में राजनीति के अलग-अलग समीकरण देखे जा सकते हैं। ये मामले देश की लोकतांत्रिक चेतना के अलग-अलग पहलुओं का भी परिचय देते हैं। देखना होगा कि कर्नाटक का घटनाक्रम आगे चुनावी राजनीति का कौन सा रंग दिखाता है।
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