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संपादकीय: युद्ध से भारत को नुकसान, संतुलन साधने की चुनौती

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हिज्बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद जिस बात की आशंका जताई जा रही थी, वह सही होती लग रही है। छोटी-सी गाजा पट्टी पर शुरू हुई लड़ाई बेकाबू जंग का रूप लेती जा रही है। ईरान काइजरायल पर ताजा हमला इस बात का साफ संकेत है कि दोनों पक्ष हमलों का जवाब हमलों से देने पर आमादा हैं। मगर युद्ध का फैलना खतरनाक होगा। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कम से कम जंग और तेज न हो, इसका दायरा और न फैले। कूटनीतिक संकटसऊदी अरब और UAE जैसे मुल्क अभी तक इस संघर्ष से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन युद्ध जिस तरह से फैल रहा है, उसमें अरब देशों का बहुत देर तक तटस्थ रहना शायद संभव न रह पाए। भारत के सामने सबसे बड़ी कूटनीतिक चुनौती होगी कि वहइजरायल और अरब वर्ल्ड के बीच किस तरह से संतुलन साधता है। आपसी सहयोग में बाधाहमास के साथ संघर्ष में शामिल होने के पहलेइजरायल और UAE पास आते दिख रहे थे। आर्थिक और दूसरे क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग के लिए 2021 में भारत,इजरायल, UAE और अमेरिका ने मिलकर I2U2 फोरम गठित किया। इसी तरह, पिछले साल इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) की घोषणा हुई थी। युद्ध का फैलाव इस तरह के प्रयासों के लिए तगड़ा झटका होगा। व्यापार पर असरईरान के संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल होने से रेड सी ट्रेडिंग रूट पर असर पड़ने की आशंका है। यह इकलौती वजह काफी है भारत की चिंता बढ़ाने के लिए। यह समुद्री रास्ता हिंदुस्तान को यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व से जोड़ता है। पिछले वित्तीय वर्ष में देश का करीब 50% निर्यात और 30% आयात इसी रूट से हुआ था। ट्रांजिट कॉस्ट बढ़ेगीलाल सागर तक संकट खिंचने का मतलब होगा कारोबार के लिए लंबा समुद्री रास्ता तय करना। इससे ट्रांजिट कॉस्ट बढ़ जाएगी। किराये पर असर पड़ेगा, डिलिवरी में देरी होगी और कंपनियों का मुनाफा घटेगा। पिछले साल जब हूती विद्रोहियों ने रेड सी रूट पर जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया था, तब भी व्यापार में काफी अड़चन आई थी। उसकी वजह से कंपनियों की सामान लाने ले जाने की लागत अभी तक बढ़ी ही है। इस बार तो खतरा पहले से कहीं ज्यादा गंभीर है। तेल की सप्लाईईरान केइजरायल पर मिसाइल अटैक के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखी जा रही है, जबकि इससे पहले इसमें कमी आई थी। भारत अपनी तीन चौथाई से अधिक तेल जरूरतों के लिए विदेशी बाजारों पर निर्भर है। ऐसे में इसकी कीमत बढ़ने से भारतीय इकॉनमी पर दबाव बढ़ेगा। कुल मिलाकर, अगर यह युद्ध फैलता है तो आर्थिक संकट का दुष्चक्र शुरू होगा, जिसकी कीमत दूसरे देशों सहित भारत को भी चुकानी पड़ेगी।
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